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हमारे द्वारा आपके कुशल गृह मंगल हेतु अनुष्ठान कर जड़ीबूटियां सिद्ध करके आपको भेजी जाएंगी जिनके प्रयोग से आपके जीवन में ग्रहनुकूलता एवं सुख समृद्धि का प्रभाव बना रहेगा।

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पीपल की जड़

पीपल की जड़ के कई फायदे बताए गए हैं, जिनमें आध्यात्मिक, ज्योतिषीय और स्वास्थ्य से संबंधित लाभ शामिल हैं। आध्यात्मिक रूप से, पीपल की जड़ को घर में बांधने से सकारात्मकता आती है, ग्रह दोष शांत होते हैं और वास्तु दोष दूर होते हैं। ज्योतिष में, इसे शनि के बुरे प्रभावों को कम करने और धन प्राप्ति के लिए भी धारण किया जाता है। स्वास्थ्य के लिए, पीपल की जड़ का उपयोग त्वचा रोगों, पाचन समस्याओं और बुखार के इलाज में किया जाता है।  पीपल की जड़ के फायदे: आध्यात्मिक लाभ: सकारात्मकता: पीपल की जड़ को घर में बांधने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।  ग्रह दोष निवारण: यह शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करने में मदद करता है।  वास्तु दोष निवारण: घर के मुख्य द्वार पर पीपल की जड़ बांधने से वास्तु दोष दूर होते हैं।  धन प्राप्ति: शुक्रवार को पीपल की जड़ को चांदी के ताबीज में भरकर धारण करने से धन की प्राप्ति होती है।  ज्योतिषीय लाभ: शनि दोष निवारण: शनि की साढ़े साती, ढैय्या आदि से पीड़ित लोगों को पीपल की जड़ धारण करने से लाभ होता है।  शत्रु नाश: गुरुवार को तांबे के ताबीज में पीपल की जड़ धारण करने से शत्रुओं का नाश होता है।  स्वास्थ्य लाभ: त्वचा रोग: पीपल की जड़ को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयां दूर होती हैं और त्वचा में निखार आता है।  पाचन: पीपल के पत्तों का पानी पीने से पाचन क्रिया सुधरती है और कब्ज, गैस जैसी समस्याएं दूर होती हैं।  बुखार: पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार में राहत मिलती है।  घाव भरना: पीपल के पत्तों के अर्क को मरहम के रूप में लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।  पीपल की जड़ का उपयोग कैसे करें: धारण: शनिवार को पीपल की जड़ को पंचामृत और गंगाजल से धोकर, पूजन करके पीले कपड़े में लपेटकर दाहिनी भुजा में बांधें।  त्वचा के लिए: पीपल की जड़ को पानी में भिगोकर पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।  अन्य: पीपल की छाल, पत्ते और फल का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।  सावधानियां: चिकित्सक की सलाह: किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए पीपल के योगों का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।  एलर्जी: कुछ लोगों को पीपल से एलर्जी हो सकती है, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए।  घर में लगाने से बचें: घर में पीपल का पौधा लगाने से बचें, क्योंकि इसकी जड़ें दीवारों और नींव में घुस सकती हैं।  निष्कर्ष: पीपल की जड़ के कई फायदे हैं, लेकिन इसका उपयोग सावधानीपूर्वक और चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए। 

बड़ (बरगद) वृक्ष की जड़

बड़ (बरगद) वृक्ष की जड़ों के कई फायदे हैं, जिनमें औषधीय गुण और पर्यावरण संबंधी लाभ शामिल हैं। यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया और त्वचा रोगों जैसी बीमारियों में लाभकारी हो सकता है। जड़ों का काढ़ा पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और कब्ज से राहत देने में भी मदद करता है। इसके अतिरिक्त, बड़ के पेड़ की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, जिससे कटाव कम होता है और वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान होता है।  औषधीय उपयोग: • पाचन संबंधी समस्याएं:बड़ की जड़ का काढ़ा पाचन में सुधार करता है और कब्ज से राहत देता है।  • त्वचा रोग:जड़ों का लेप फोड़े-फुंसी, दाने और खुजली जैसी त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।  • दांतों की सड़न:जड़ों को चबाने से मसूड़ों की बीमारी और दांतों की सड़न को रोकने में मदद मिलती है।  • जोड़ों का दर्द:जड़ों का लेप जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।  • मधुमेह:बरगद की जड़ें मधुमेह के प्रबंधन में उपयोगी हो सकती हैं।  • उच्च रक्तचाप:बड़ की जड़ें उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकती हैं।  पर्यावरण संबंधी लाभ: • मिट्टी का कटाव:बड़ के पेड़ की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, जिससे कटाव कम होता है। • जल संरक्षण:पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से पानी को अवशोषित करते हैं और वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से इसे वापस वातावरण में छोड़ते हैं, जिससे जल चक्र में मदद मिलती है। • वन्यजीवों के लिए आवास:बड़ के पेड़, अपनी जड़ों और शाखाओं के साथ, वन्यजीवों के लिए आवास और आश्रय प्रदान करते हैं।  अन्य उपयोग: • धार्मिक महत्व:बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसका धार्मिक महत्व है।  • वास्तु:बरगद के पेड़ को वास्तु शास्त्र में भी महत्वपूर्ण माना जाता है।  सावधानी: • बड़ के पेड़ की जड़ों का उपयोग करने से पहले, एक अनुभवी चिकित्सक या वैद्य से सलाह लेना उचित है, खासकर यदि आप किसी विशेष बीमारी के लिए इसका उपयोग करना चाहते हैं।  • कुछ लोगों को बरगद के पेड़ के कुछ हिस्सों से एलर्जी हो सकती है। 

पलाश की जड़

  पलाश की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: त्वचा के संक्रमण, बालों के झड़ने और पेट के कीड़ों के लिए। इसके अतिरिक्त, पलाश की जड़ का उपयोग रतौंधी और अन्य नेत्र विकारों में भी किया जा सकता है।  पलाश की जड़ के फायदे: • त्वचा संक्रमण:पलाश में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। यह घावों को ठीक करने, सूजन को कम करने और पुनरावृत्ति को रोकने में भी उपयोगी है।  • बालों का झड़ना:पलाश की जड़ बालों की जड़ों को मजबूत करती है और बालों के झड़ने को रोकती है। यह बालों के विकास में भी सुधार करता है।  • पेट के कीड़े:पलाश के बीज का उपयोग पेट के कीड़ों को खत्म करने और पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में किया जाता है।  • नेत्र विकार:पलाश की जड़ का अर्क रतौंधी और अन्य नेत्र विकारों में उपयोगी हो सकता है।  • सूजन:पलाश की जड़ में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।  • अन्य उपयोग:पलाश की जड़ का उपयोग बुखार, चर्म रोग और घेंघा रोग में भी किया जा सकता है।  पलाश की जड़ का उपयोग कैसे करें: • त्वचा संक्रमण और बालों के झड़ने के लिए, पलाश के पाउडर को पानी या गुलाब जल के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।  • पेट के कीड़ों के लिए, पलाश के बीज का पाउडर बनाकर खाली पेट या सोते समय लिया जा सकता है।  • नेत्र विकारों के लिए, पलाश की जड़ के अर्क की दो बूंदें नियमित रूप से आंखों में डालें।  • सूजन के लिए, पलाश के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिएं या पलाश के बीज के तेल से मालिश करें।  सावधानियां: • पलाश का उपयोग करने से पहले, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना उचित है।  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पलाश का उपयोग सावधानी से करना चाहिए।  • पलाश के अधिक सेवन से कुछ लोगों में दस्त या पेट दर्द हो सकता है। 

गूलर की जड़

गूलर की जड़ के कई फायदे बताए गए हैं, जिनमें ज्योतिषीय और स्वास्थ्य संबंधी लाभ शामिल हैं। ज्योतिष में, गूलर की जड़ को शुक्र ग्रह से जोड़ा जाता है और इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता, भौतिक सुखों की प्राप्ति, और धन-ऐश्वर्य में वृद्धि हो सकती है। इसके अतिरिक्त, गूलर की जड़ को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे गर्भपात और बवासीर में भी फायदेमंद माना जाता है।  गूलर की जड़ के फायदे: स्वास्थ्य लाभ: गर्भपात को रोकने में सहायक: गूलर की जड़ का काढ़ा या कोंपलों को दूध के साथ सेवन करने से गर्भपात को रोकने में मदद मिल सकती है।  बवासीर में फायदेमंद: गूलर के दूध को पानी में मिलाकर पीने से बवासीर में राहत मिल सकती है।  पाचन में सहायक: गूलर पाचन क्षमता को बढ़ाता है और कब्ज, पेट दर्द, गैस और डायरिया से बचाता है।  घाव भरने में सहायक: गूलर के दूध में रूई को भिगोकर घाव पर रखने से घाव ठीक हो सकता है।  अन्य स्वास्थ्य लाभ: गूलर का उपयोग कैंसर, अल्सर, निमोनिया, और पित्त-विकार जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद माना जाता है।  ज्योतिषीय लाभ: धन-ऐश्वर्य में वृद्धि: शुक्र ग्रह को धन, वैभव और लग्जरी का कारक माना जाता है, इसलिए गूलर की जड़ को धारण करने से धन-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सकती है।  कला, मीडिया, फिल्म और फैशन क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए शुभ: गूलर की जड़ को कला, मीडिया, फिल्म या फैशन से जुड़े लोगों के लिए शुभ माना जाता है, और इसे धारण करने से उन्हें लाभ हो सकता है।  शुक्र ग्रह को मजबूत करना: गूलर की जड़ को शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है, और इसे धारण करने से शुक्र ग्रह को मजबूत किया जा सकता है।  वैवाहिक जीवन में मधुरता: गूलर की जड़ को हाथ में बांधने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आ सकती है और प्रेम संबंधों में सुधार हो सकता है।  भौतिक सुखों की प्राप्ति: गूलर की जड़ को धारण करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है, और सुख-सुविधाओं में वृद्धि हो सकती है।  गूलर की जड़ धारण करने की विधि: शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को: गूलर की जड़ को शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को निकालें।  गंगाजल से धोकर पवित्र करें: जड़ को गंगाजल से धोकर पवित्र करें।  चांदी के ताबीज में रखें: जड़ को चांदी के ताबीज में डालकर धारण करें।  शुक्र देव के मंत्र का जाप करें: धारण करने से पहले, शुक्र देव के मंत्र का 108 बार जाप करें।  ध्यान दें: गूलर की जड़ को धारण करने से पहले, किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेना उचित होगा।  गूलर के स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए, किसी चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा। 

जटामांसी की जड़

जटामांसी की जड़, जिसे स्पाइकनार्ड भी कहा जाता है, कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। यह मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य, त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है। यह तनाव और चिंता को कम करने, नींद में सुधार करने, मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करती है।  जटामांसी की जड़ के फायदे: मानसिक स्वास्थ्य: जटामांसी का उपयोग तनाव, चिंता और अनिद्रा को कम करने के लिए किया जाता है। यह मस्तिष्क को शांत करने और एकाग्रता में सुधार करने में भी मदद करती है।  त्वचा: जटामांसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो इसे मुंहासे, एक्जिमा और समय से पहले बूढ़ा होने जैसी त्वचा समस्याओं के लिए उपयोगी बनाते हैं।  बाल: जटामांसी बालों के झड़ने को कम करने, रूसी को कम करने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करती है।  पाचन: जटामांसी पाचन में सुधार करने और कब्ज, पेट फूलना और अपच जैसी पाचन समस्याओं को कम करने में मदद करती है।  अन्य: जटामांसी का उपयोग दर्द से राहत, सूजन को कम करने, और हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी किया जाता है।  जटामांसी का उपयोग कैसे करें: जटामांसी का चूर्ण पानी या दूध के साथ मिलाकर पिया जा सकता है।  इसका उपयोग हेयर मास्क या फेस मास्क के रूप में भी किया जा सकता है।  जटामांसी के तेल को बालों और त्वचा पर लगाया जा सकता है।  सावधानियां: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को जटामांसी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। जटामांसी का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।  निष्कर्ष: जटामांसी एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। यदि आप किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए इसका उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं, तो कृपया पहले डॉक्टर से परामर्श करें। 

लटजीरा (अपामार्ग) की जड़

लटजीरा (अपामार्ग) की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: यह किडनी और कुष्ठ रोगों में लाभदायक है, बवासीर, हैजा और दस्त के लिए फायदेमंद है, और भूख-प्यास को कम करने में मदद कर सकती है. इसके अतिरिक्त, इसकी जड़ का उपयोग त्वचा रोगों में घाव पर छिड़काव के लिए भी किया जाता है  लटजीरा की जड़ के फायदे:  बवासीर, हैजा और दस्त: लटजीरा की जड़ का उपयोग बवासीर, हैजा और दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याओं के लिए भी किया जाता है.  भूख और प्यास: लटजीरा की जड़ को भूख और प्यास को कम करने के लिए जाना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अत्यधिक भूख या प्यास से पीड़ित हैं (भस्मक रोग) according to Jagran.  त्वचा रोग: लटजीरा की जड़ का चूर्ण त्वचा रोगों में घाव पर छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे घाव जल्दी ठीक होते हैं according to Dabur.  खांसी: लटजीरा की जड़ को पानी में उबालकर पीने से खांसी और कफ से राहत मिलती है.  गुर्दे और कुष्ठ रोग: लटजीरा की जड़ को किडनी और कुष्ठ रोगों के इलाज में उपयोगी माना जाता है.  अन्य उपयोग: दांतों और मसूड़ों के रोग: लटजीरा की दातून करने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं और मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है सर्प दंश और बिच्छू का डंक: लटजीरा की जड़ का उपयोग सर्प दंश और बिच्छू के डंक के जहर को कम करने के लिए किया जाता है according to Jagran.  सावधानी: किसी भी जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले, विशेष रूप से यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं या गर्भवती हैं, तो एक अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा उचित होता है. 

मदार (आक) के पौधे की जड़

मदार (आक) के पौधे की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें त्वचा की समस्याओं, बवासीर, जोड़ों के दर्द और पेट की समस्याओं से राहत शामिल है। इसे आमतौर पर एक जहरीला पौधा माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।  मदार की जड़ के कुछ प्रमुख फायदे: त्वचा की समस्याओं में: मदार की जड़ को जलाकर राख को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से त्वचा की खुजली, जलन, और लालिमा में आराम मिलता है।  बवासीर में: मदार की जड़ बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों में भी राहत दे सकती है।  जोड़ों के दर्द में: मदार के पत्तों का लेप जोड़ों के दर्द और सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।  पेट की समस्याओं में: मदार के पौधे से पेट से जुड़ी समस्याओं में भी आराम मिल सकता है।  अन्य उपयोग: मदार के पौधे का उपयोग बुखार, फ़ीलपाँव, मतली, उल्टी और दस्त के इलाज में भी किया जाता है।  सावधानियां: मदार एक जहरीला पौधा है, इसलिए इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।  इसके दूधिया रस का उपयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।  आंखों में इसका रस जाने से बचाना चाहिए।  निष्कर्ष: मदार की जड़ आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, लेकिन इसके उपयोग से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। 

केले की जड़

केले की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें किडनी और मूत्राशय की पथरी में राहत, ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना, पाचन में सुधार, और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, यह त्वचा के लिए भी फायदेमंद है, खुजली, फुंसी और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकती है.  केले की जड़ के फायदे:  त्वचा के लिए फायदेमंद: केले की जड़ में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है.  पेट के अल्सर में उपयोगी: केले की जड़ में शांत करने वाले गुण होते हैं, जो पेट को शांत करने और अल्सर को ठीक करने में मदद कर सकते हैं.  बुखार में राहत: केले की जड़ में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं, जो बुखार को कम करने में मदद कर सकते हैं.  हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद: केले की जड़ का रस हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है.  मुंह के छालों से राहत: केले की जड़ मुंह के छालों से भी राहत दिलाने में मदद करती है.  गुर्दे की पथरी में सहायक: केले की जड़ को पीसकर पीने से किडनी और मूत्राशय की पथरी में मदद मिल सकती है.  पाचन में सुधार: यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाकर गैस, कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं को कम कर सकती है.  रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं.  ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना: कुछ आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, केले की जड़ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है.  ध्यान दें: केले की जड़ का उपयोग करने से पहले, किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित होगा, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है. 

कुशा घास की जड़

कुशा घास की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: यह मूत्र संबंधी समस्याओं, जैसे कि पेशाब में जलन या रुक-रुक कर पेशाब आने में राहत देती है। इसके अतिरिक्त, यह महिलाओं में सफेद पानी की समस्या और बवासीर में भी फायदेमंद मानी जाती है. धार्मिक कार्यों में भी कुशा का उपयोग किया जाता है, जैसे कि कुश आसन बनाना, जिसका उपयोग ध्यान और मानसिक शांति के लिए किया जाता है.  कुशा घास की जड़ के फायदे: मूत्र संबंधी समस्याओं में राहत: कुश की जड़ का काढ़ा पीने से पेशाब से जुड़ी समस्याओं, जैसे कि पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय जलन होना, या पेशाब ठीक से न आने में आराम मिलता है.  महिलाओं के लिए: महिलाओं में सफेद पानी की समस्या में भी कुश की जड़ का काढ़ा फायदेमंद माना जाता है.  बवासीर में राहत: कुश की जड़ को बाला की जड़ के साथ मिलाकर चावल के पानी के साथ सेवन करने से बवासीर से होने वाले रक्तस्राव को रोकने में मदद मिलती है.  किडनी स्टोन में उपयोगी: कुश का सेवन किडनी स्टोन को निकालने में भी मदद कर सकता है.  धार्मिक महत्व: कुश को धार्मिक कार्यों में पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग कुश आसन बनाने के लिए किया जाता है, जिस पर बैठकर ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है.  अन्य उपयोग: ध्यान और मानसिक शांति: कुश आसन पर बैठकर ध्यान करने से एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है.  पापों का नाश: कुछ मान्यताओं के अनुसार, कुश की माला पहनने से पापों का नाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.  धन-धान्य में वृद्धि: कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कुश की जड़ को तिजोरी में रखने से धन-धान्य में वृद्धि होती है.  कुश के बारे में कुछ और बातें: कुश को कुशा, कुस, बिख दाब, यज्ञभूषण आदि नामों से भी जाना जाता है. यह भारत के खुले मैदानों में पाई जाने वाली एक घास है. इसके पत्ते लंबे और किनारे से थोड़े कांटेदार होते हैं. कुश से चटाई भी बनाई जाती है. 

शमी की जड़

शमी की जड़ के कई फायदे बताए गए हैं, जिनमें मानसिक शांति, शनि दोष से मुक्ति, और त्वचा रोगों में आराम शामिल हैं।  शमी की जड़ के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं: त्वचा रोगों में आराम: कुछ स्वास्थ्य वेबसाइटों के अनुसार शमी में सूजन-रोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो त्वचा रोगों, जैसे खुजली और बिच्छू के डंक के लिए फायदेमंद होते हैं। कुछ स्वास्थ्य वेबसाइटों के अनुसार  अन्य लाभ: शमी की जड़ का उपयोग पाचन में सुधार, हृदय स्वास्थ्य, और श्वसन मार्ग के संक्रमणों के लिए भी किया जाता है।  मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन: शमी की जड़ का उपयोग मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन के लिए किया जाता है। कुछ ज्योतिषीय वेबसाइटों के अनुसार यह व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और तनाव व चिंता से मुक्ति प्रदान करता है। ज्योतिषीय वेबसाइटों के अनुसार  शनि दोष और साढ़ेसाती से मुक्ति: ज्योतिष में, शमी की जड़ को शनि देव से संबंधित माना जाता है। माना जाता है कि इसे हाथ में बांधने से शनि दोष और साढ़ेसाती के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है, खासकर उन लोगों के लिए जो नीलम रत्न नहीं पहन सकते।  शमी की जड़ का उपयोग कैसे करें: शमी की जड़ को गंगाजल से शुद्ध करके काले कपड़े में बांधकर हाथ में बांधा जाता है।  पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध सकती हैं।  बांधने के बाद, शनि देव के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।  शमी के पेड़ की पत्तियां गणेश जी को भी अर्पित की जाती हैं।  यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शमी की जड़ के लाभों के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं, और कुछ लाभों का उल्लेख धार्मिक और पारंपरिक मान्यताओं में किया गया है। 

खेर की जड़

खेर की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें सूजन कम करना, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ना, पाचन को बढ़ावा देना, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना और कैंसर के खतरे को कम करना शामिल हैं।  खेर की जड़ के फायदे: सूजन कम करना: खेर की जड़ में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गठिया, मधुमेह और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों में फायदेमंद हो सकता है।  बैक्टीरिया और वायरस से लड़ना: खेर की जड़ में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।  पाचन को बढ़ावा देना: खेर की जड़ पाचन में सुधार कर सकती है और कब्ज, अपच और अन्य पाचन समस्याओं में राहत प्रदान कर सकती है।  रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना: खेर की जड़ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जो मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।  कैंसर के खतरे को कम करना: खेर की जड़ में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।  इम्युनिटी बढ़ाना: खेर की जड़ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, जिससे शरीर विभिन्न रोगों से लड़ने में सक्षम होता है।  श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए: खेर की जड़ खांसी, अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करती है।  मानसिक शांति: खेर की जड़ मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देती है, तनाव और चिंता को कम करती है।  वजन घटाने में मदद: खेर की जड़ शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है और वजन घटाने में मदद करती है।  अन्य उपयोग: खेर की जड़ का उपयोग घाव भरने, त्वचा की समस्याओं और दस्त के इलाज के लिए भी किया जाता है।  इसका उपयोग बालों की देखभाल के उत्पादों में भी किया जाता है, क्योंकि यह बालों के रोम को मजबूत करने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।  खेर की जड़ का उपयोग प्राकृतिक हेयर डाई के रूप में भी किया जाता है।  कुछ अध्ययनों से पता चला है कि खेर की जड़ में हाइपोग्लाइसेमिक (रक्त शर्करा कम करने वाला) प्रभाव हो सकता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।  सावधानी: खैर की जड़ का उपयोग करने से पहले, एक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है या आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं। कुछ लोगों को खेर की जड़ से एलर्जी हो सकती है, इसलिए पहली बार उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। 

बेल की जड़

बेल की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें ज्योतिषीय और आयुर्वेदिक लाभ शामिल हैं। ज्योतिष के अनुसार, इसे धारण करने से सूर्य ग्रह मजबूत होता है और धन, समृद्धि, और सफलता मिलती है. आयुर्वेदिक रूप से, यह पाचन में सुधार, बुखार और संक्रमण से राहत, और शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद करती है.  ज्योतिषीय लाभ: सुरक्षा: कुछ मान्यताओं के अनुसार, बेल की जड़ नकारात्मक शक्तियों और बुरी ताकतों से भी रक्षा करती है YouTube.  सूर्य ग्रह को मजबूत करना: बेल की जड़ को धारण करने से सूर्य ग्रह मजबूत होता है, जिससे आत्मविश्वास, पदोन्नति, और राजनीति में सफलता मिल सकती है Jansatta.  धन और समृद्धि: माना जाता है कि बेल की जड़ में माता लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इसे धारण करने से धन, समृद्धि, और कर्ज से मुक्ति मिल सकती है.  आयुर्वेदिक लाभ: पाचन में सहायक: बेल की जड़ का काढ़ा पाचन में सुधार करने और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है.  बुखार और संक्रमण से राहत: बेल की जड़ का काढ़ा बुखार और संक्रमण से राहत दिलाने में भी उपयोगी है.  कमजोरी दूर करना: आयुर्वेद में, बेल की जड़ को शरीर की कमजोरी दूर करने और ऊर्जा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.  अन्य लाभ: बेल की जड़ का उपयोग हृदय रोग, आंख के रोग, और पित्त विकार जैसी समस्याओं में भी किया जाता है Jansatta.  धारण करने की विधि: बेल की जड़ को केसरिया रंग के कपड़े में लपेटकर दाहिनी बाजू या कलाई में बांधा जा सकता है AstroSage.  इसे धारण करने से पहले, इसे दूध में स्नान कराना शुभ माना जाता है YouTube.  सावधानी: बेल की जड़ को धारण करने से पहले, ज्योतिष या आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित है. गर्भवती महिलाओं और कब्ज की समस्या वाले लोगों को बेल के फल या जड़ का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. 

धतूरे की जड़

धतूरे की जड़ के कई फायदे हैं, जिनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण शामिल हैं, जो संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं। यह दर्द निवारक और ऐंठन-रोधी के रूप में भी काम करता है। धतूरे की जड़ का उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे अस्थमा, खांसी, बुखार, सूजन, नसों के दर्द, और पागल कुत्तों के काटने के लिए किया जाता है।  धतूरे की जड़ के कुछ विशिष्ट फायदे: श्वास संबंधी समस्याओं में राहत: धतूरे के पत्तों का धुआं दमा में फायदेमंद होता है।  मिर्गी में आराम: धतूरे की जड़ की सुगंध मिर्गी को शांत करने में मदद कर सकती है।  अन्य उपयोग: धतूरे की जड़ का उपयोग पागल कुत्तों के काटने, अल्सर, गुर्दे की बीमारी, और पथरी में भी किया जाता है।  संक्रमणों से लड़ना: धतूरे की जड़ में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं।  दर्द से राहत: इसे एनोडीन (दर्द निवारक) और एंटीस्पास्मोडिक (ऐंठन-रोधी) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  सूजन कम करना: बाहरी रूप से लगाने पर, धतूरे की जड़ सूजन और संक्रमण को कम करने में मदद करती है।  धतूरे के उपयोग में सावधानी:  धतूरा एक जहरीला पौधा है, इसलिए इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, गलत तरीके से सेवन करने पर यह मतिभ्रम, उल्टी, हृदय गति में गड़बड़ी और गंभीर मामलों में मौत का कारण भी बन सकता है। इसलिए, धतूरे का उपयोग केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए।