✡ नीली रत्न ✡

नीली रत्न

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नीली रत्न (Neeli Ratna) को हिंदी में नीलम (Neelam) कहा जाता है। यह एक रत्न है जो शनि ग्रह से संबंधित है और ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे नीलमणि, इंद्रनील, या नीला पुखराज जैसे नामों से भी जाना जाता है। 

नीलम (नीली रत्न) के बारे में कुछ मुख्य बातें:

  • शनि ग्रह का रत्न:

    नीलम को शनि ग्रह का रत्न माना जाता है और इसे शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान राहत पाने के लिए पहना जाता है। 

  • धारण करने के फायदे:

    नीलम पहनने से आत्मविश्वास, मानसिक शांति, निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 

  • धारण करने की विधि:

    नीलम को आमतौर पर चांदी की अंगूठी में जड़वाकर शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद मध्यमा उंगली में पहना जाता है। 

  • धारण करने से पहले सलाह:

    नीलम को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना चाहिए, खासकर यदि आप शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित हैं। 

  • नीली (Neeli) उपरत्न है:

    नीली, नीलम का उपरत्न है, जो नीलम के समान ही प्रभाव डालता है। 

नीलम (नीली) से जुड़े कुछ अन्य तथ्य:

  • यह माना जाता है कि नीलम बहुत शक्तिशाली रत्न है और इसका प्रभाव 24 घंटे के भीतर दिखना शुरू हो सकता है। 
  • कुछ लोगों का मानना है कि नीलम पहनने से रातोंरात रंक भी राजा बन सकता है, लेकिन यह सब व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। 
  • नीलम को धारण करने से पहले, इसे गंगाजल और दूध से शुद्ध करना चाहिए और "ॐ शं शनैश्चरायै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। 
  • नीलम को धारण करने के बाद, शनि ग्रह से संबंधित कुछ दान जैसे कि काले कपड़े, उड़द दाल, या सरसों का तेल मंदिर में देना शुभ माना जाता है।