हिन्दू धर्म में नवरात्रि सबसे जीवंत त्यौहारों में से एक है। जो बेहद पवित्र माना जाता है। इस त्यौहार का उल्लेख हिन्दू धर्म के कई ग्रंथों में किया गया है। भागवत पुराण में कहा गया है कि देवी पूजा का यह त्यौहार साल में चार बार मनाया जाता है। जिसमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और 2 गुप्त नवरात्रि शामिल हैं।
“नवरात्रि” शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, “नव” जिसका अर्थ है नौ और “रात्रि” जिसका अर्थ है रात। ये नौ रातें दिव्य स्त्री ऊर्जा की पूजा के लिए समर्पित हैं। यह त्यौहार आम तौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। नवरात्रि का यह पावन पर्व धार्मिक महत्व के साथ सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक है। भारत के विभिन्न राज्यों में यह त्यौहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जिसमें हर दिन जगत जननी माँ दुर्गा के अलग-अलग दिव्य स्वरूप की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में जगत जननी माँ भगवती दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है।
सबसे पहले प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लें, उसमें लाल कपड़ा बिछाकर सजावट करें। एक कलश में जल भरकर उसे चौकी में रख दें, इसके बाद कलश पर कलावा लपेट दें। उसके बाद कलश के ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखें। इसके उपरांत नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर रख दें और धूप-दीप जलाकर जगत जननी माँ भगवती दुर्गा का आवाहन करें, साथ ही शास्त्रों में माँ भगवती दुर्गा की पूजा-उपासना की बताई गई विधि के अनुसार पूजा प्रारंभ करें।
नवरात्रि के समय प्रकृति में एक विशिष्ट ऊर्जा होती है, जिसको आत्मसात कर लेने पर व्यक्ति पूरी तरह से बदल सकता है। त्यौहार के दौरान व्रत का प्रयोजन होता है कि हम खुद पर नियंत्रण करने के लिए मन-मस्तिष्क को शुद्ध कर सकें। जब कोई भी व्यक्ति शुद्ध भावना के साथ व्रत रखता है तब उसकी सोच सकारात्मक रहती है, जिसका प्रभाव सीधे शरीर पर पड़ता है और वह व्यक्ति अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा महसूस करता है। यदि साधक लोग इस समय अपने दिमाग को स्थिर रखते हुए व्रत उपवास इत्यादि रखते हैं तो व्रतों का संयम-नियम उनके लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
के पावन अवसर पर कन्याओं को भोजन करवाना और उन्हें नवरात्रि पर दान देना बेहद पुण्यकारी होता है। माँ भगवती दुर्गा को समर्पित इन नौ दिनों में भक्तगण किसी भी दिन माँ का आवाहन करते हुए कन्या पूजन करें उन्हें सुरुचिपूर्ण भोजन करवाएं और दान दें। इससे माँ दुर्गा की कृपा साधकों पर होती है और माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
प्रश्न: इस त्योहार के दौरान देवी दुर्गा के किन रूपों की पूजा की जाती है?
उ: नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
प्रश्न: मैं नवरात्रि के दौरान धर्मार्थ गतिविधियों में कैसे भाग ले सकता हूं?
उत्तर: आप स्वयंसेवा कर सकते हैं, भोजन या धन दान कर सकते हैं, या नारायण सेवा संस्थान जैसे संगठनों का समर्थन कर सकते हैं जो जरूरतमंदों के साथ काम करते हैं।
प्रश्न: शारदीय नवरात्रि के दौरान मुझे कौन से रंग पहनने चाहिए?
उत्तर: प्रत्येक दिन का अपना निर्दिष्ट रंग होता है:
लाल (शैलपुत्री), रॉयल ब्लू (ब्रह्मचारिणी), पीला (चंद्रघंटा), हरा (कुष्मांडा), ग्रे (स्कंदमाता), नारंगी (कात्यायनी), सफेद (कालरात्रि), गुलाबी (महागौरी), बैंगनी (सिद्धिदात्री)
प्रश्न: घटस्थापना क्या है और यह कब किया जाता है?
उत्तर: घटस्थापना पवित्र कलश की स्थापना का अनुष्ठान है, जो कि नवरात्रि उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।